नई दिल्ली। अक्सर लोग संडे का अर्थ छुट्टी से जोड़ते हैं और हर काम लेट करते हैं। भागदौड़ की जिंदगी में अकसर इंसान यही सोचता है। क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि संडे आते ही आपकी बांछें खिल जाती हैं। आप देर तक सोते हैं और अपने सारे पेंडिंग काम निपटाते हैं, तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें के साल 1890 से पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी। साल 1890 में 10 जून वो दिन था, जब रविवार को साप्ताहिक अवकाश के रूप में चुना गया। वहीं भागदौड़ करने के बाद इस दिन व्यक्ति भरपूर आराम करता है और अपनी मर्जी से सारा दिन व्यतित करता है। ऐसा करने से आने वाले सप्ताह के लिए एक नई ऊर्जा से भरपूर शुरुआत होती है। आप कहीं रविवार को मौज-मस्ती में इस कद्र तो नहीं डूब जाते की इस दिन के देव सूर्य नारायण नाराज हो जाएं। आपके द्वारा की गई छोटी सी भूल, मान-सम्मान पर दाग लगा सकती है।
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इससे बचना चाहिए
रविवार को काम पर जाने की जल्दी नहीं होती इसलिए अधिकतर लोग सुबह देरी से उठते हैं। ऐसा करने से कुंडली में सूर्य कमजोर हो जाता है। जिससे आयु, धन-धान्य, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य में कमी आने लगती है। रविवार को कभी भी सूर्योदय के बाद न उठें। सूर्योस्त के समय भी न सोएं, आर्थिक अभावों से गुजरना पड़ेगा। किसी का भी अपमान न करें। आपकी ये भूल सभी अच्छे कामों पर भारी पड़ सकती है।
इन कामों को करना चाहिए
सुबह उठकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके सूर्य को अर्घ्य दें, आदित्य हृदय का पाठ करें। जो जातक ऐसा करता है सूर्य देव उसके मन की सारी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। नेत्र रोग और स्वास्थ्य लाभ के लिए ‘नेत्रोपनिषद्’ का पाठ करें। संभव हो तो ये पाठ प्रतिदिन करें, रोग आपके पास कभी नहीं फटकेंगे। तेल व नमक का सेवन न करें, केवल एक वक्त भोजन करें। ऐसा करने पर बहुत सारी मुसीबतों से छुटकारा पा सकते हैं।